साँसों का बंधन, दो ज़िस्म एक जान का संगम! एक दूजे के हुए हम, जीवन हमारा महका चमन! फुलवारी सी लगती हर गली, रंगीन हुई जिंदगी, तुम बिन थी बेरंग! बांहों में जब तुमने लिया, मीट गई हर ग़म! अब बस तेरी पनाहगाह में रहूँ मैं क़ैद! आखिरी साँस तक चाहूँगी हरदम! जान भी निकले जब जिस्मों से मेरे, तेरी बाहों का हार हो, मरकर भी कहलाऊँ सुहागन! 🎀 प्रतियोगिता संख्या- 49 🎀 शीर्षक:- ""साँसों का बंधन"" 🎀 शब्द सीमा नहीं है। 🎀 इस प्रतियोगिता में आप सभी को इस शीर्षक पर collab करना है।