जाने कैसे पांव धोखा खा गये भूल से किसी और के घर आ गये ना कोई वहां ठौर और ठिकाना है अपने घर का रस्ता भी बिसरा गये मुश्किलों से आँख पल को थी लगी उस में भी गैरों के सपने छा गये क्या किसी को दोष दें और दें सज़ा हम तो ख़ुद से ही सजाएं पा गये कितना कोई प्यार की ख़ातिर मरे हम तो अब ग़ैरत की राह पर आ गये #अंजलिउवाच #YQdidi #धोखा #ग़लती #ग़ैरत #घर #ग़ैर