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#FourLinePoetry मै तो बदल चुका हूं , तू भी बदल के

#FourLinePoetry मै तो बदल चुका हूं , तू भी बदल के आ जा
ये आह सून ले दिल की, खोल दे दरवाज़ा ।
तेरी गली में तेरे दीदार को खड़ा हूं 
आ जा ओ जान-ऐ-जा तू घर से निकल के आ जा ।


पलकों पे रहने वाले, पर्दा नहीं है करते 
प्यार करने वाले, दुनियां से नहीं डरते ।
सूरत ना दिखानी है, आवाज़ ही सुना जा 
आ जा ओ जान-ऐ-जा तू घर से निकल के आ जा ।


मेरी आहट को सुन के तेरा, खिड़की में आ जाना
भूलुं  में कैसे वो पल, तेरा छुपके से मुस्कुराना ।
खिड़की में आ के दिलबर, ऐक बार मुस्कुरा जा
आ जा ओ जान-ऐ-जा तू घर से निकल के आ जा ।


मेरी वफ़ा पे थोड़ा, सा यकीन कर ले 
बंदिशे सब तोड़ के, बाहों में आ के भर ले ।
बाहों में भर के अपनी, धड़कन को सुना जा 
आ जा ओ जान-ऐ-जा तू घर से निकल के आ जा ।


पायल का बजना तेरा , वो नंगे पॉव आना 
भुला नहीं हूं तेरे कंगन का खन-खना-ना ।
कंगन को अपने फिर, ऐक बार खन-खना-जा 
आ जा ओ जान-ऐ-जा तू घर से निकल के आ जा ।

©Nitin Sharma पुरानी यादें ........

#fourlinepoetry  MANISH MISHRA MANISH MISHRA Dhruvam Pathak NISHABATTE Nitin Kumar  Dhruvam Pathak
#FourLinePoetry मै तो बदल चुका हूं , तू भी बदल के आ जा
ये आह सून ले दिल की, खोल दे दरवाज़ा ।
तेरी गली में तेरे दीदार को खड़ा हूं 
आ जा ओ जान-ऐ-जा तू घर से निकल के आ जा ।


पलकों पे रहने वाले, पर्दा नहीं है करते 
प्यार करने वाले, दुनियां से नहीं डरते ।
सूरत ना दिखानी है, आवाज़ ही सुना जा 
आ जा ओ जान-ऐ-जा तू घर से निकल के आ जा ।


मेरी आहट को सुन के तेरा, खिड़की में आ जाना
भूलुं  में कैसे वो पल, तेरा छुपके से मुस्कुराना ।
खिड़की में आ के दिलबर, ऐक बार मुस्कुरा जा
आ जा ओ जान-ऐ-जा तू घर से निकल के आ जा ।


मेरी वफ़ा पे थोड़ा, सा यकीन कर ले 
बंदिशे सब तोड़ के, बाहों में आ के भर ले ।
बाहों में भर के अपनी, धड़कन को सुना जा 
आ जा ओ जान-ऐ-जा तू घर से निकल के आ जा ।


पायल का बजना तेरा , वो नंगे पॉव आना 
भुला नहीं हूं तेरे कंगन का खन-खना-ना ।
कंगन को अपने फिर, ऐक बार खन-खना-जा 
आ जा ओ जान-ऐ-जा तू घर से निकल के आ जा ।

©Nitin Sharma पुरानी यादें ........

#fourlinepoetry  MANISH MISHRA MANISH MISHRA Dhruvam Pathak NISHABATTE Nitin Kumar  Dhruvam Pathak
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Nitin Sharma

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