उसकी अंगुलियों के बीच में फंसी..... वो पल पल सुलग रही थी... मैंने देखा था उसे ..... वो काश दर काश झुलस रही थी.... फिर देखा मैंने उसके राख हो जाने के बाद..... वो बदहवशो सी हसी हंस रही थी..... मैंने सुना उसकी फुसफुसाहट को.... वो धीरे से कुछ कह रही थी.... अपने वजूद को मिटाने वाले के जिगर में .. वो अभी भी जल रही थी.... और शायद उसके भविष्य को भी जला रही थी.... ये सिगरेट भी न जनाब.... अपने आप को फिर से सुलगा रही थी . #rs#मेरे अल्फाज़ ये सिगरेट भी न जनाब अपने आप को फिर से सुलगा रही थी