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मतला, मकता, काफ़िया या रदीफ; मैं तो तुझे ही अश आर

मतला, मकता, काफ़िया या रदीफ;
मैं तो तुझे ही अश आर लिखता हूँ॥ 
मैं ग़ज़ल नहीं तेरा प्यार लिखता हूँ॥
      
               ©दुर्गेश पण्डित #ग़ज़ल
मतला, मकता, काफ़िया या रदीफ;
मैं तो तुझे ही अश आर लिखता हूँ॥ 
मैं ग़ज़ल नहीं तेरा प्यार लिखता हूँ॥
      
               ©दुर्गेश पण्डित #ग़ज़ल