है रास्ता दर्द भरा लेकिन इसमें आराम काफी है ये मेरे ख़्वाबों की मंज़िल है... ऐशो आराम की जरुरत नहीं, मुझे रहत के पल सिर्फ 4 काफी है!! मेरे पाँव में छाले देख लोग पूछते है मुझसे!! ठहर क्यों नहीं जाती? मैं मुस्कुरा कर कहती हूं, की ठहरना मंज़ूर नहीं मूझको जब तक मै अपने घर नहीं जाती !! #OpenPoetry #poetry #Love #dreams #khwab #manzil