दोहा कामी क्रोधी लालची, इनसे भक्ति न होय | भक्ति करे कोई सुरमा, जाती बरन कुल खोए || अर्थ कबीर दास जी कहते हैं कि कामी, क्रोधी और लालची, ऐसे व्यक्तियों से भक्ति नहीं हो पाती। भक्ति तो कोई सूरमा ही कर सकता है जो अपनी जाति, कुल, अहंकार सबका त्याग कर देता है। 🚩॥मेरे राम॥🚩 ©Himanshu Tomar #मेरे_राम #कबीर_वाणी #सब #अंहकार #लोभ #विकार #विचारशील #मन #त्याग #makarsakranti