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ख़्वाहिशे बहुत थी जताने के लिए फाक़ा ए मुफलिसी ने सब

ख़्वाहिशे बहुत थी जताने के लिए
फाक़ा ए मुफलिसी ने सब तोड़ दिया
घर की दहलीजो को कंधे पर उठा कर
हमनें इश्क़ ए गुलशन को छोड़ दिया

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