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टूटते गिरते लम्हों का सिलसिला हूँ मैं, मेरी माँ क

टूटते गिरते लम्हों का सिलसिला हूँ मैं,

मेरी माँ कहती है बड़ी मुद्तों से मिला हूँ मैं

वो गयी तो फिर लौट के नहीं आई,
और अब जिस चौखट पर मांग रही थी वो 
किसी और के लिए दुआ,
उसी मंदिर का जलता हुआ दिया हूँ मैं arun#8
टूटते गिरते लम्हों का सिलसिला हूँ मैं,

मेरी माँ कहती है बड़ी मुद्तों से मिला हूँ मैं

वो गयी तो फिर लौट के नहीं आई,
और अब जिस चौखट पर मांग रही थी वो 
किसी और के लिए दुआ,
उसी मंदिर का जलता हुआ दिया हूँ मैं arun#8