तलाशने जरियों को बिता दी, सारी उमर, सूरत ए हाल, दिखाने के लिए। वो पीर फकीर, भी ना आए नज़र, इश्क का जाल, बिछाने के लिए।। एक दरिया दिखा, बंद बोतल में हमें, हम उसमें बिखर कर, डूब गए।। फिर यहां गए, फिर वहां गए, जाने कहां गए, पर बोहोत खूब गए।। कोई कहता इसमें पल भर का है नशा, पल दो पल का सुरूर है। पर ताउम्र यहां कौन किसका रहा, इसका भी क्या कुसूर है।। थोड़ी बेशर्म बना देती है कभी, थोड़ी बहकाती ज़रूर है, पर पाने को अपना खोया गुरूर, ज़रूरी ये फितूर है।। किसी की उम्मीदों से गए, किसी की नज़रों से गए, इस बार मज़बूरी में नहीं, हम अपने नखरों से गए। लोगों की फरामोश आदतों से जब हम, ऊब गए, फिर बोहोत दूर गए, और बोहोत खूब गए।। एक दरिया दिखा, मयखानों में हमें, हम उसमें बिखर कर, डूब गए।। कभी यहां गए, कभी वहां गए, जाने कहां गए, पर बोहोत खूब गए।। #Shaayavita #शराब #नशा #मयखाने #सुरूर #मयखाना #इश्क #इश्क़ #Love