चाह जीने की जगाती हैं किताबे.. राह चलने की बताती हैं किताबे.. अज्ञानी को कालीदास बनाती हैं.. ज्ञान की गंगा बहाती हैं किताबे.. इक उम्मीद के साथ जीता हैं आदमी.. उसके ख़्वाब को ताबीर बनाती हैं किताबे.. बाज़ आता नहीं इंसा फ़रेबबाज़ी से.. इंसानियत का दर्स सिखती हैं किताबे.. यह जिंदगी का मेला है, खेल अपना.. शाद को ठोकर से बचाती हैं किताबे..😊😊😊 #kitabezindgi