Nojoto: Largest Storytelling Platform

©'अल्प — % & प्रिय अपर्णा ( APARNA ASTHANA ),

©'अल्प — % & प्रिय अपर्णा ( APARNA ASTHANA ),

    मेरे लिए तुम ठीक वैसी हो जैसे " मेरे लिए मैं ", सच कहूं तो मैंने तुम्हारी रचनाओं में स्वंय को पढ़ा है अगल - अलग है पात्रों में, तुमने अपने हाथ से जिस प्रकार स्त्रीत्व को मेरे मन के धरातल पर उकेरा है निःसंदेह वह अतुलनीय है, तुम्हारी रचनाएं अधिकतर स्त्री प्रधान रहीं तुमने प्रेम लिखा, तुमने विरह लिखा, तुम्हें मातृत्व लिखा, तुमने ममत्व लिखा, तुमने विवशता लिखी, तुमने कुशलता लिखी, तुमने हर तरह से मेरे ह्रदय को स्पर्श किया है अपने लेखन के द्वारा।
 
   मैंने अधिकांश कविताएं पढ़ी हैं तुम्हारी लिखी और कुछ गिनी - चुनी सी कहानियां, सोचती हूँ तुम्हारी लिखी कविताएं ही इतना कुछ समाहित करती हैं स्वंय में तो फिर निःसंदेह कहानियां तो चीर देती होंगी शरीर को ही नहीं अपितु मन और आत्मा को भी।

 तुम्हें पता है एक लेखक का महत्व मात्र इस बात से बढ़ जाता है कि वह कितने सारे पात्रों को एक साथ जी लेता है, अपनी बात करूँ तो मैं तो निभा ही नहीं सकती वह भूमिका जिसे मैंने जिया ही नहीं हो, परन्तु हाँ मैंने जिया है थोड़ा - बहुत तुम्हारी कहानियों और कविताओं के माध्यम से तुमको और तुम्हारी रचनाओं को।
©'अल्प — % & प्रिय अपर्णा ( APARNA ASTHANA ),

    मेरे लिए तुम ठीक वैसी हो जैसे " मेरे लिए मैं ", सच कहूं तो मैंने तुम्हारी रचनाओं में स्वंय को पढ़ा है अगल - अलग है पात्रों में, तुमने अपने हाथ से जिस प्रकार स्त्रीत्व को मेरे मन के धरातल पर उकेरा है निःसंदेह वह अतुलनीय है, तुम्हारी रचनाएं अधिकतर स्त्री प्रधान रहीं तुमने प्रेम लिखा, तुमने विरह लिखा, तुम्हें मातृत्व लिखा, तुमने ममत्व लिखा, तुमने विवशता लिखी, तुमने कुशलता लिखी, तुमने हर तरह से मेरे ह्रदय को स्पर्श किया है अपने लेखन के द्वारा।
 
   मैंने अधिकांश कविताएं पढ़ी हैं तुम्हारी लिखी और कुछ गिनी - चुनी सी कहानियां, सोचती हूँ तुम्हारी लिखी कविताएं ही इतना कुछ समाहित करती हैं स्वंय में तो फिर निःसंदेह कहानियां तो चीर देती होंगी शरीर को ही नहीं अपितु मन और आत्मा को भी।

 तुम्हें पता है एक लेखक का महत्व मात्र इस बात से बढ़ जाता है कि वह कितने सारे पात्रों को एक साथ जी लेता है, अपनी बात करूँ तो मैं तो निभा ही नहीं सकती वह भूमिका जिसे मैंने जिया ही नहीं हो, परन्तु हाँ मैंने जिया है थोड़ा - बहुत तुम्हारी कहानियों और कविताओं के माध्यम से तुमको और तुम्हारी रचनाओं को।
alpanabhardwaj6740

AB

New Creator

प्रिय अपर्णा ( APARNA ASTHANA ), मेरे लिए तुम ठीक वैसी हो जैसे " मेरे लिए मैं ", सच कहूं तो मैंने तुम्हारी रचनाओं में स्वंय को पढ़ा है अगल - अलग है पात्रों में, तुमने अपने हाथ से जिस प्रकार स्त्रीत्व को मेरे मन के धरातल पर उकेरा है निःसंदेह वह अतुलनीय है, तुम्हारी रचनाएं अधिकतर स्त्री प्रधान रहीं तुमने प्रेम लिखा, तुमने विरह लिखा, तुम्हें मातृत्व लिखा, तुमने ममत्व लिखा, तुमने विवशता लिखी, तुमने कुशलता लिखी, तुमने हर तरह से मेरे ह्रदय को स्पर्श किया है अपने लेखन के द्वारा। मैंने अधिकांश कविताएं पढ़ी हैं तुम्हारी लिखी और कुछ गिनी - चुनी सी कहानियां, सोचती हूँ तुम्हारी लिखी कविताएं ही इतना कुछ समाहित करती हैं स्वंय में तो फिर निःसंदेह कहानियां तो चीर देती होंगी शरीर को ही नहीं अपितु मन और आत्मा को भी। तुम्हें पता है एक लेखक का महत्व मात्र इस बात से बढ़ जाता है कि वह कितने सारे पात्रों को एक साथ जी लेता है, अपनी बात करूँ तो मैं तो निभा ही नहीं सकती वह भूमिका जिसे मैंने जिया ही नहीं हो, परन्तु हाँ मैंने जिया है थोड़ा - बहुत तुम्हारी कहानियों और कविताओं के माध्यम से तुमको और तुम्हारी रचनाओं को।