हँसकर जीने वाले देखो अंदर से कितने तन्हा हैं, महफ़िल है अपनों की लेकिन रातों में सपने तन्हा हैं, वैसे अब तो व्हाट्सप में यूँ सारे यार नज़र आते हैं, पर दिन भर उनसे बातों के बीच कई लम्हे तन्हा हैं, सजी दीवारें तस्वीरों से और किताबों से अलमारी, इतना सब कुछ है पर लेकिन जाने क्यों कमरे तन्हा हैं, 'सानू' दोस्त हुआ करता था आँगन का वो पेड़ हमारा, तुझको क्या मालूम यहाँ पर दिन कैसे गुज़रे तन्हा हैं। तन्हा||ज़िन्दगी||सानू की शायरी #yqzindagi #yqdidi #yqshayari #yqhindishayari #lovequote #sanubanu