मिलो जो तुम तो हम भी गढ़े अपनी नई कहानी कोई बातें दिलों पर फिर से लिखें मिटाकर पुरानी यादें कोई बिछड़ु जो तुझसे तो दुनिया ये रुठे जैसे निकला हो रसते पर जनाज़ा कोई यादे तेरी मैं खुद मे समेटू छिपा हो इनमें ख़ाजाना कोई