बेठो कभी साथ मेरे तुम्हे दास्तान ए मोहब्ब्त सुनाएंगे कितने ज़ख्म मिले दिखायँगे कितने दर्द सहे बताएंगे लवों से एक बात न कहेंगे सिर्फ आँख से अश्क बहाएंगे समझ लोगे जो दर्द मेरा तो आगे की बात बताएंगे वर्ना राह का मुसाफिर समझ कह दी दो बातें सोच आगे बढ़ जायँगे बैठो कभी साथ मेरे तुम्हे दिल का दर्द बताऐंगे। CN