#OpenPoetry हर रोज़ मैं अपने घर से निकल जाता हूँ। न जाने कब... और कहाँ... जाता हूँ।। न जाने कब और कहाँ जाता हूँ। #घर #रोज़ #कब #कहाँ #शेर #शायर #शायरी