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वो कहते हैं अक़्सर मुझसे... बातों-बातों में, चाहते

वो कहते हैं अक़्सर मुझसे... बातों-बातों में,
चाहते हैं वो कोई नज़्म लिखना, बनके 'मैं'।। 

वो कहते हैं 'काश! तुझसा ही बन जाऊँ मैं',
'काश ! तेरी कलम की स्याही बन जाऊँ मैं',
वो कहते हैं अक़्सर मुझसे... बातों-बातों में, 
चाहते हैं वो कोई याद लिखना, बनके 'मैं'।। 

वो कहते हैं 'एक जैसे ही हैं हमारे जज़्बात', 
'ज़िंदगी में भी एक जैसे ही हैं हमारे हालात',
वो कहते हैं अक़्सर मुझसे... बातों-बातों में,
चाहते हैं वो कोई आस लिखना, बनके 'मैं'।।
-संगीता पाटीदार  रमज़ान 9वाँ दिन
#रमज़ान_कोराकाग़ज़
वो कहते हैं अक़्सर मुझसे... बातों-बातों में,
चाहते हैं वो कोई नज़्म लिखना, बनके 'मैं'।। 

वो कहते हैं 'काश! तुझसा ही बन जाऊँ मैं',
'काश ! तेरी कलम की स्याही बन जाऊँ मैं',
वो कहते हैं अक़्सर मुझसे... बातों-बातों में, 
चाहते हैं वो कोई याद लिखना, बनके 'मैं'।। 

वो कहते हैं 'एक जैसे ही हैं हमारे जज़्बात', 
'ज़िंदगी में भी एक जैसे ही हैं हमारे हालात',
वो कहते हैं अक़्सर मुझसे... बातों-बातों में,
चाहते हैं वो कोई आस लिखना, बनके 'मैं'।।
-संगीता पाटीदार  रमज़ान 9वाँ दिन
#रमज़ान_कोराकाग़ज़