जो अब तक बांध रखा था तेरी यादों के चगुल में, तू मुझको उसे एक बार आज़ाद होने की मंज़ूरी ज़रा देदो, जो तुमने खुद को बदला है, मैं अब खुद को बदल लूंगा, मुझे एक बार खुद से खुद को बदलने की मंजूरी ज़रा देदो...! ---(GUSTAKHI MAAF) ©someone special जो अब तक बांध रखा था तेरी यादों के चगुल में, तू मुझको उसे एक बार आज़ाद होने की मंज़ूरी ज़रा देदो, जो तुमने खुद को बदला है, मैं अब खुद को बदल लूंगा, मुझे एक बार खुद से खुद को बदलने की मंजूरी ज़रा देदो...! ---(GUSTAKHI MAAF)