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'अकूत' मौज नहीं है कथित सजगता ने उसे खा लिया है

'अकूत'

मौज नहीं है 
कथित सजगता ने उसे खा लिया है 
निवाला नहीं है मौज 
दायरा विहिन है मौज 
आचरण तारत्मयता जिसे भ्रष्ट करती हो 
वो मौज, 
नहीं है !
शून्य के साथ है मौज 
ऊँचाई की पराकाष्ठा है मौज 
यह युग नहीं है इस दिवा का 
अर्थ आधार भी खो चुका है मौज 
तृष्णा बन कर रह गया बेचारा 
अंश चाहिये तो मृत्यू होगी अनेक 
डर है 
मौज नहीं है !
निभाया नहीं जा सकता मौज 
अभ्यास से प्रभाव विहिन हो जाता मौज 
मौज नहीं तो मौज की संभावना भर 
मस्ती नहीं है मौज 
निर्वाण के समकक्ष वाला 
स्वर्ण स्तम्भ 
छटकता य़ायावरी 
ब्रह्म से घिरा पदम
विभूषण है मौज 
अलंकार नहीं है 
मौज नहीं है, 
अभी चरम पर गया हुआ है !
मौज प्रेम है 
अखंडता है, जीवंत है, कगार है 
लक्ष्य है 
चाहत, संतुष्टी नहीं है मौज 
विकास है मौज 
करूणा है मौज 
अहिंसा है मौज 
कविता है मौज 
अद्भूत सरिता है मौज 
आज सामुहिकता खास है मौज 
सबका साथ सबका विकास है मौज !! पुनः प्रकाशित।



अकूत

मौज नहीं है 
कथित सजगता ने उसे खा लिया है
'अकूत'

मौज नहीं है 
कथित सजगता ने उसे खा लिया है 
निवाला नहीं है मौज 
दायरा विहिन है मौज 
आचरण तारत्मयता जिसे भ्रष्ट करती हो 
वो मौज, 
नहीं है !
शून्य के साथ है मौज 
ऊँचाई की पराकाष्ठा है मौज 
यह युग नहीं है इस दिवा का 
अर्थ आधार भी खो चुका है मौज 
तृष्णा बन कर रह गया बेचारा 
अंश चाहिये तो मृत्यू होगी अनेक 
डर है 
मौज नहीं है !
निभाया नहीं जा सकता मौज 
अभ्यास से प्रभाव विहिन हो जाता मौज 
मौज नहीं तो मौज की संभावना भर 
मस्ती नहीं है मौज 
निर्वाण के समकक्ष वाला 
स्वर्ण स्तम्भ 
छटकता य़ायावरी 
ब्रह्म से घिरा पदम
विभूषण है मौज 
अलंकार नहीं है 
मौज नहीं है, 
अभी चरम पर गया हुआ है !
मौज प्रेम है 
अखंडता है, जीवंत है, कगार है 
लक्ष्य है 
चाहत, संतुष्टी नहीं है मौज 
विकास है मौज 
करूणा है मौज 
अहिंसा है मौज 
कविता है मौज 
अद्भूत सरिता है मौज 
आज सामुहिकता खास है मौज 
सबका साथ सबका विकास है मौज !! पुनः प्रकाशित।



अकूत

मौज नहीं है 
कथित सजगता ने उसे खा लिया है

पुनः प्रकाशित। अकूत मौज नहीं है कथित सजगता ने उसे खा लिया है #musings #yqbaba #yqdidi #miscellaneous #विप्रणु