जिन; ख़्वाबों के बीज; तुम्हारी आँखों में; मैंने देखे थे; उसके कुछ अंकुर; मेरे दिल में भी फूटे थे; प्रथम विरह के; अश्कों से मैंने; सींचा था उनको; इंतज़ार के पौधे में; उम्मीदों के; कुछ फूल खिले थे; एक बरस के बाद; हम फिर से मिले थे.....!! #LOVEGRAPHY-5 #उम्मीदों_के_फूल #yqdidi