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एक पिता ने देखे सपने यहाँ, उसके बेटे के लिए आसमान

एक पिता ने देखे सपने यहाँ, 
उसके बेटे के लिए आसमान छू जाने के.. 

करता रहा दिन-रात मेहनत, 
उन सपनों को पुरा कर जाने को.. 

ना कभी रूका ना कभी थका, 
लाता गया उसकी मंजिल को पास.. 

अपने सपनों को रौंद, 
करता गया उसके सपने पूरे.. 

बहुत पढ़ाया बहुत लिखाया, 
बना दिया उसे बड़ा विद्वान.. 

आज जब उसके बेटे ने, 
अपनी मंजिल को बहुत करीब पाया.. 

सभी ने बेटे के लिए बजायी तालीयाँ, 
वह भी खुशी के मारे फुले नहीं समाया.. 

जब उसके बेटे ने उसे बताया, 
एक बड़ी विदेशी कंपनी से प्रस्ताव आया.. 

दिल में एक दर्द ए ठोकर-सी लगी, 
पर देख बेटे की खुशी वह हल्का-सा मुस्कुराया.. 

महफ़िल में सभी बहुत खुश थे, 
पर उसने अपने आप को अकेला पाया.. 

छोड़ने आया बेटे को उसकी मंजिल की ओर, 
एक पल भी ज्यादा उसे अपने पास न रोक पाया.. 

जब उसने अपनी आंख खोलीं, 
दुर कहीं उसे पैसे का एक ढेर नजर आया.. 

कोई बताएगा इस नादान कवि को, 
क्या इस दिन के उसने अपने बेटे को पढ़या.. 

चल दिया अगले ही दिन फिर काम पर, 
वहीं हल,वही कुदाली,वही फावड़ा हाथ में उठाया..

एक पिता ने देखें सपने यहाँ, 
उसके बेटे के लिए आसमान छू जाने के.. 

अपने सपनों को रौंद, 
आज वह उन्हें पुरा कर आया.. 

एक पिता ने देखें सपने यहाँ, 
उसके बेटे के लिए आसमान छू जाने के.. 
                                    - लक्ष्मण चौधरी एक पिता ने देखे सपने यहाँ, 
उसके बेटे के लिए आसमान छू जाने के.. 

करता रहा दिन-रात मेहनत, 
उन सपनों को पुरा कर जाने को.. 

ना कभी रूका ना कभी थका, 
लाता गया उसकी मंजिल को पास..
एक पिता ने देखे सपने यहाँ, 
उसके बेटे के लिए आसमान छू जाने के.. 

करता रहा दिन-रात मेहनत, 
उन सपनों को पुरा कर जाने को.. 

ना कभी रूका ना कभी थका, 
लाता गया उसकी मंजिल को पास.. 

अपने सपनों को रौंद, 
करता गया उसके सपने पूरे.. 

बहुत पढ़ाया बहुत लिखाया, 
बना दिया उसे बड़ा विद्वान.. 

आज जब उसके बेटे ने, 
अपनी मंजिल को बहुत करीब पाया.. 

सभी ने बेटे के लिए बजायी तालीयाँ, 
वह भी खुशी के मारे फुले नहीं समाया.. 

जब उसके बेटे ने उसे बताया, 
एक बड़ी विदेशी कंपनी से प्रस्ताव आया.. 

दिल में एक दर्द ए ठोकर-सी लगी, 
पर देख बेटे की खुशी वह हल्का-सा मुस्कुराया.. 

महफ़िल में सभी बहुत खुश थे, 
पर उसने अपने आप को अकेला पाया.. 

छोड़ने आया बेटे को उसकी मंजिल की ओर, 
एक पल भी ज्यादा उसे अपने पास न रोक पाया.. 

जब उसने अपनी आंख खोलीं, 
दुर कहीं उसे पैसे का एक ढेर नजर आया.. 

कोई बताएगा इस नादान कवि को, 
क्या इस दिन के उसने अपने बेटे को पढ़या.. 

चल दिया अगले ही दिन फिर काम पर, 
वहीं हल,वही कुदाली,वही फावड़ा हाथ में उठाया..

एक पिता ने देखें सपने यहाँ, 
उसके बेटे के लिए आसमान छू जाने के.. 

अपने सपनों को रौंद, 
आज वह उन्हें पुरा कर आया.. 

एक पिता ने देखें सपने यहाँ, 
उसके बेटे के लिए आसमान छू जाने के.. 
                                    - लक्ष्मण चौधरी एक पिता ने देखे सपने यहाँ, 
उसके बेटे के लिए आसमान छू जाने के.. 

करता रहा दिन-रात मेहनत, 
उन सपनों को पुरा कर जाने को.. 

ना कभी रूका ना कभी थका, 
लाता गया उसकी मंजिल को पास..