ख़ुद को ही जब आज़माना आ गया, पीछे - पीछे ये ज़माना आ गया... अब नहीं आते हैं आँसू हर घड़ी, अब हमें ग़म को छुपाना आ गया... मुश्किलों ने इस क़दर माँझा हमें, ज़िंदगी से अब निभाना आ गया... अब नहीं ख़लती हमें तन्हाइयाँ, ख़ुद से ही अब दिल लगाना आ गया... बाग़ में कुछ तितलियों को देख कर, याद बचपन का ज़माना आ गया... हाथ में आयी क़लम ये क्या मेरे, जैसे कोई इक ख़ज़ाना आ गया... *************************************** निहारिका सिंह #nojoto #nojotohindi #kalakaksh #poetry #quotes #love #life #struggle #identity