जहां गतिशील है वहां निर्माण भी जरूरी है वहां चाय भौतिकी स्तर की गतिशील हो या मानसिक स्तर कि यदि गति पर नियंत्रण का विधान नहीं है तो दुर्घटना को रोका नहीं जा सकता बहुत ही कि स्तर पर किसी भी तरह के वाहन होते हैं मैं ब्रेक भी होते हैं वहां चालक स्थिति परिस्थिति के अनुसार ब्रेक का उपयोग करते हुए गंतव्य तक पहुंचते हैं इस तरह का निर्माण मन के स्तर पर भी जरूरी है सबसे तेज मन ही चलता है गोस्वामी तुलसीदास ने पीपर पात सारी मंडोला चौपाई में स्पष्ट कहा है जिस प्रकार हल्की सी हवा चलने से पीपल के पत्ते हिलने लगते हैं उसी प्रकार किसी भी तरह की परिस्थितियां आती है तो सबसे पहले मन पर उसका प्रभाव पड़ता है पर चंदा के क्षणों में मनुष्य ने लगता है यह उतरना भी कभी-कभी घातक हो जाता है जबकि दुखों के निर्णयों में निराशा और कंटाडीह के मन की सारी शिक्षा ऋण हो जाती है अगर मन करे तो पाएंगे कि जब हम सब कुछ अनुकूल होने पर मन के निरंकुश होने का खतरा बन जाता है और व्यक्ति मनमानी करने लगता है वही परिस्थिति स्थिति नगर का कार्य करने लगती दोनों संगठन कर देती है हर धर्म में संयम नियम से जीने के उपाय बताए गए हैं आज भी कहा जा सकता है ©Ek villain #आत्म नियंत्रण मानव जीवन में #adventure