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बुझी है जो उम्मीदों की हमारी शाम ज़िंदा हो, हमारे द

बुझी है जो उम्मीदों की
हमारी शाम ज़िंदा हो,
हमारे दिल की ये धड़कन
वतन के नाम ज़िंदा हो,
यही कहकर गया देखो
पुराना साल भी हमसे,
दिलों में अब मोहब्बत का
कोई पैग़ाम ज़िंदा हो !! सिख समाज के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जन-जन की आस्था में तो हैं ही,
उनका नाम राष्ट्रवीरों और अद्भुत योद्धाओं में भी शुमार हैं।
उन्होंने देश की आन-बान और शान की खातिर अपने पुत्रों को कुर्बान कर दिया था।
उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और लोगों को मुगलों के अन्याय के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रोत्साहित किया।
गोविंद सिंह राय से गुरुगोविंद सिंह कहलाए।
02 जनवरी 2020 को उनकी जयंती के अवसर पर हर तरफ उनके नाम की गूंज है।
गुरुद्वारों में उनके नाम का शबद कीर्तन गूंज रहा है और धरती के इस लाल को श्रद्धा के सुमन चढ़ाए जा रहे हैं।
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बुझी है जो उम्मीदों की
हमारी शाम ज़िंदा हो,
हमारे दिल की ये धड़कन
वतन के नाम ज़िंदा हो,
यही कहकर गया देखो
पुराना साल भी हमसे,
दिलों में अब मोहब्बत का
कोई पैग़ाम ज़िंदा हो !! सिख समाज के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जन-जन की आस्था में तो हैं ही,
उनका नाम राष्ट्रवीरों और अद्भुत योद्धाओं में भी शुमार हैं।
उन्होंने देश की आन-बान और शान की खातिर अपने पुत्रों को कुर्बान कर दिया था।
उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और लोगों को मुगलों के अन्याय के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रोत्साहित किया।
गोविंद सिंह राय से गुरुगोविंद सिंह कहलाए।
02 जनवरी 2020 को उनकी जयंती के अवसर पर हर तरफ उनके नाम की गूंज है।
गुरुद्वारों में उनके नाम का शबद कीर्तन गूंज रहा है और धरती के इस लाल को श्रद्धा के सुमन चढ़ाए जा रहे हैं।
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सिख समाज के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जन-जन की आस्था में तो हैं ही, उनका नाम राष्ट्रवीरों और अद्भुत योद्धाओं में भी शुमार हैं। उन्होंने देश की आन-बान और शान की खातिर अपने पुत्रों को कुर्बान कर दिया था। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और लोगों को मुगलों के अन्याय के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रोत्साहित किया। गोविंद सिंह राय से गुरुगोविंद सिंह कहलाए। 02 जनवरी 2020 को उनकी जयंती के अवसर पर हर तरफ उनके नाम की गूंज है। गुरुद्वारों में उनके नाम का शबद कीर्तन गूंज रहा है और धरती के इस लाल को श्रद्धा के सुमन चढ़ाए जा रहे हैं। : #पंछी #पाठक #हरे