आस्तीन हो या सांप हो,पता नहीं, मगर हो पराये ही, कहने में जरा हिचकता न मैं, देखो न, दूर हो जाते हैं, जरा दूर उजाले से होने पर मेरे, मुझसे मेरे साये ही, तुम भी साये की तरह मन में कहीं - होगे वो कलेजे पे लोटते सांप, आस्तीन उतार भी दूंगा मैं, पराया है तो कैसे फेर दूंगा पानी, रहें लहजे तेरे किए कराये ही। ©BANDHETIYA OFFICIAL आस्तीन में सांप। #Path