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अजीब दौर है हम इन्सानों की । सरेआम गलती करते है ह

अजीब दौर है हम इन्सानों की । 
सरेआम गलती करते है हम 
और दोष देते है  अक्सर भगवानों की
 यहाॅ कदम कदम पर मंदिर है ।
 पर राज चलती है 😈 शैतानो की
घर मै छाया घना अंधेरा ।
 और लौ 🔥 जले श्मशानो की।।
 हम खूद को रत्तीभर न बदलें ।
 और इल्ज़ाम लगाये जमाने की । 
सही - गलत सब भूल बैठे है ।
 बस होड़ मची है कमाने की ।।
 हर कोई दोनों हाथों से लूटने चले है । 
खाली हाथ जाने के लिऐ । 
अक्सर अपनो को छोड़ जाते है।
गैरों को मनाने के लिए। 
अपनी मर्यादा भूल बैठे बस चंद कागज कमाने के लिए?
अक्सर अपनी सच्चाई की ईमारत तोड़ देते है।
एक झूठी आशियाने के लिऐ ।
सौ 💯 वजह की बात नही।
बस एक वजह काफी है।
ताउम्र पचताने के लिऐ।।
कुछ कमाना है तो कलाम साहब सा नाम कमाओ।
जो आर्दश बने जमाने के लिए। 
जय श्रीराम 😊
always keep smili sp

©Pankaj Kumar
  दौर
pankajkumar3694

Pankaj Kumar

Silver Star
New Creator

दौर #कविता

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