पूनम का चाँद था मुस्कुरा रहा, ऐसी थी वो रात किसी को याद करते-करते तन्हाई में कट रही थी रात खामोश था समा, दिल था किसी का जल रहा बूँद-बूँद कर पिघल रही थी वो रात दर्द था बेशुमार, आँखें थी आँसुओं से भरी हुई ना जाने कैसी बिताई उसने वो रात चाँद था शीतल, लगाया उसने कुछ मरहम दिल पर उसी के सहारे बीती थी वो लम्बी काली रात सब्र जब ना हुआ, बह गए सभी जज़्बात आख़िर कब तक ग़म संभाले रखती वो रात उसे नहीं भूले, आज भी करते हैं वो उसे याद दिलो-दिमाग में आज भी ताज़ा है वो पूनम की रात पूनम का चाँद था मुस्कुरा रहा, ऐसी थी वो रात किसी को याद करते-करते तन्हाई में कट रही थी रात खामोश था समा, दिल था किसी का जल रहा बूँद-बूँद कर पिघल रही थी वो रात दर्द था बेशुमार, आँखें थी आँसुओं से भरी हुई ना जाने कैसी बिताई उसने वो रात