Nojoto: Largest Storytelling Platform

मोड़ रहे हैं राह मेरी तोड़ रहे अनसुलझे सवाल, बेचैन

 मोड़ रहे हैं राह मेरी तोड़ रहे अनसुलझे सवाल,
बेचैन हूँ बर्बाद मैं हो रहा ये कैसा बवाल..!
क़ैद हैं ख़्वाहिशें आज़ाद है मन,
इधर उधर की सोच में हो रहा बदहाल..!

गिरता पड़ता ख़ुद के अंतर्मन से लड़ता,
बढ़ता पर धीरे धीरे ख़्वाबों को पाल..!
जुबाँ पे ज़ोर किसका कहाँ है,
बस ख़ुद को रहे हैं हम यूँ ही सँभाल..!

उदासी के भँवर में फँसे,
कभी रोये ख़ूब कभी थोड़े हँसे..!
क्या होगा कौन जाने लग गए देखो ज़माने,
हार जीत के चक्कर में हो रहे बेहाल..!

छोड़ते निशाँ क़दमों के पीछे,
खींचे साँसों को जैसे काल..!
सब्र का बाँध टूटने को है,
दुःखों में जकड़े हैं सालों साल..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Alive #ansuljhesawal