खिड़की पर बैठ कर हमने जो जग देखा है आते जाते अपनो को गैर बनते देखा है कभी छुप छुपाकर उसका दीदार किया करता था मिल तो सका नहीं खिड़की से ही प्यार किया करता था pk #खिड़की