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पाँव तले धरती नहीं होती सर पे आसमान नहीं होता नही

पाँव तले धरती नहीं होती 
सर पे आसमान नहीं होता
नहीं होते हैं जब माता-पिता
जीना इतना आसान नहीं होता
सच है अनाथ आँखें नहीं रोती
किसी आँचल का उन्हें गुमाँ नहीं होता
आहिस्ता हो जाती है धड़कन की धमक
शोख़ इनका कोई अरमाँ नहीं होता 
हलक़ में गर्म सा कुछ खौलता है
नम सिलसिला ये, फिर भी धुआँ नहीं होता
चारों सिम्त ज़िन्दगी अपने रंग में खिलती है
मन में फिर भी बसंत, हाँ! नहीं होता 
हँसकर बढ़ना दस्तूर है चलन है सही
बेबसी का दर्द बेसबब ज़ुबाँ नहीं होता
उसे देखो वो हर शय पे शाद लगता है
हँसता चेहरा खिलता गुलाब लगता है
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी का ख़िताब लगता है
कमाल है! मुख़्तसर बेहिसाब लगता है
भीतर की मायूसी का हिसाब नहीं होता
होता तो वो चलती फिरती क़िताब नहीं होता












 #toyou#resonance#reflections#yqlife#barefacts#onthesand#witheringweather
पाँव तले धरती नहीं होती 
सर पे आसमान नहीं होता
नहीं होते हैं जब माता-पिता
जीना इतना आसान नहीं होता
सच है अनाथ आँखें नहीं रोती
किसी आँचल का उन्हें गुमाँ नहीं होता
आहिस्ता हो जाती है धड़कन की धमक
शोख़ इनका कोई अरमाँ नहीं होता 
हलक़ में गर्म सा कुछ खौलता है
नम सिलसिला ये, फिर भी धुआँ नहीं होता
चारों सिम्त ज़िन्दगी अपने रंग में खिलती है
मन में फिर भी बसंत, हाँ! नहीं होता 
हँसकर बढ़ना दस्तूर है चलन है सही
बेबसी का दर्द बेसबब ज़ुबाँ नहीं होता
उसे देखो वो हर शय पे शाद लगता है
हँसता चेहरा खिलता गुलाब लगता है
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी का ख़िताब लगता है
कमाल है! मुख़्तसर बेहिसाब लगता है
भीतर की मायूसी का हिसाब नहीं होता
होता तो वो चलती फिरती क़िताब नहीं होता












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