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जाने कैसे दिन गुजर जाता है भीड़ में ;जब शाम की तन्

जाने कैसे दिन गुजर जाता है भीड़ में ;जब शाम की तन्हाई में, तेरी यादों का पुलिंदा ,हौले से दस्तक देता है दिल के दरवाजे पर ;शब ए फुरकत भी रुलाती है ,तड़पाती है, हिज्र की ये रात जाने कितनी लंबी होगी? क्या कभी ना खत्म होगा इंतजार ?तेरी यादों का सिलसिला, थमने का नाम नहीं लेता ;धीरे-धीरे पिघलती हुई शमा का जिस्म भी ,खाक होने को है ;उम्मीद की ये लौ जाने कब बुझ जाए ;बस चंद सांसे बाकी हैं,बिखरी हुई सी, उधड़ी हुई सी ;जाने कब टूट जाए सांस की ये डोर भी ;शब ए फुर्कत की रात और तेरा इंतजार; जाने कैसे दिन गुजर जाता है भीड़ में!

#ShamBhiKoi
namitapanda1360

Namita Panda

New Creator

जाने कैसे दिन गुजर जाता है भीड़ में ;जब शाम की तन्हाई में, तेरी यादों का पुलिंदा ,हौले से दस्तक देता है दिल के दरवाजे पर ;शब ए फुरकत भी रुलाती है ,तड़पाती है, हिज्र की ये रात जाने कितनी लंबी होगी? क्या कभी ना खत्म होगा इंतजार ?तेरी यादों का सिलसिला, थमने का नाम नहीं लेता ;धीरे-धीरे पिघलती हुई शमा का जिस्म भी ,खाक होने को है ;उम्मीद की ये लौ जाने कब बुझ जाए ;बस चंद सांसे बाकी हैं,बिखरी हुई सी, उधड़ी हुई सी ;जाने कब टूट जाए सांस की ये डोर भी ;शब ए फुर्कत की रात और तेरा इंतजार; जाने कैसे दिन गुजर जाता है भीड़ में! #ShamBhiKoi #कविता

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