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जमीन भी है ज़मीर भी है झुक जाऊं तो जमीन अपनी न झु

जमीन भी है ज़मीर भी है 
झुक जाऊं तो जमीन अपनी
न झुका तो जमीर अपना।।

नदी भी है समंदर भी है
पार गये तो नदी अपनी
डूब गए तो समंदर अपना।।

जीत भी है सबक भी है
जीत गये तो जिंदगी अपनी
हार गये तो सबक अपना।।

मोहब्बत भी‌ है ख्वाब भी है
मिल गई तो मोहब्बत अपनी 
न मिली तो ख्वाब अपना।। #भूली बिसरी
जमीन भी है ज़मीर भी है 
झुक जाऊं तो जमीन अपनी
न झुका तो जमीर अपना।।

नदी भी है समंदर भी है
पार गये तो नदी अपनी
डूब गए तो समंदर अपना।।

जीत भी है सबक भी है
जीत गये तो जिंदगी अपनी
हार गये तो सबक अपना।।

मोहब्बत भी‌ है ख्वाब भी है
मिल गई तो मोहब्बत अपनी 
न मिली तो ख्वाब अपना।। #भूली बिसरी