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ख़ामोशी को समझना सिख लो, खामोशी को समझना सिख लो क्य

ख़ामोशी को समझना सिख लो, खामोशी को समझना सिख लो
क्योंकि हर कोई बोल नही सकता।

दर्द तुम्हारे ज़हन मे छुपे हुए हर कोई
टटोल नही सकता।

बेशक़ शब्दों से समझाना आसान होता है
पर खामोशी के शब्दों से ज्यादा कोई 
शब्द अनमोल नही होता। Baljit Singh  Satya Prakash Upadhyay Arsh aamil Qureshi  aman6.1
ख़ामोशी को समझना सिख लो, खामोशी को समझना सिख लो
क्योंकि हर कोई बोल नही सकता।

दर्द तुम्हारे ज़हन मे छुपे हुए हर कोई
टटोल नही सकता।

बेशक़ शब्दों से समझाना आसान होता है
पर खामोशी के शब्दों से ज्यादा कोई 
शब्द अनमोल नही होता। Baljit Singh  Satya Prakash Upadhyay Arsh aamil Qureshi  aman6.1
vkviraz9338

V.k.Viraz

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