अनुपमा है मेरा नाम अब खुद की तारीफ खुद से ही क्या करू , लिखने का शौक पहले से ही था । लेखन मैं ही कुछ करना था क्योंकि मुझे लगा लेखन से ही जो बदलाव लाना चाहती हूं मैं लोगो की सोच में वो हो जायेगा । पर यह काम इतना भी आसान नही था एक दम ना के बराबर , पर मैंने फिर भी कोशिश की बहुत कुछ हो रहा था मेरे आस पास । मुझे लगा यही सही समय है खुद के लिए खड़े होने का या मेरे जैसे और लोगो के लिए खड़े होने का , पर यहां तो लोग अपनी सहूलियत के अनुसार चीजों को अपनाते हैं । यहां तो लोग कान से बहरे और आंखों से अंधे नजर आते हैं , सच बोला नहीं जाता उनसे और झूठ को इतनी अच्छी तरीके से बोलते हैं कि वह भी सच ही नजर आता है । पैसों के दम पर वह कुछ भी करने का हक रखते हैं , खुद के फायदे के लिए भगवान को भी पैसों का लालच देते हैं । सारे लोग एक जैसे नहीं होते पर देखा जाए तो आधे से ज्यादा लोग एक जैसे ही होते हैं अपनी सोच को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना उन्हें बखूबी आता है । सोच बदलो तो देश बदलेगा पर लोगों को सोच ही तो नहीं बदलनी , माना इतना भी आसान नहीं है पर कोशिश करके तो देखी जा सकती है । पुरानी परंपराओं को तोड़ने के लिए कोई नहीं बोल रहा पर समय के साथ उस में थोड़ा बदलाव तो किया जा ही सकता है । सोच कर देखो तो बहुत अंतर नजर आएगा आपके सोचने में और आपके करने में , जब हम पैसों से चीजें खरीद सकते हैं । तो सोच बदलने में तो कोई पैसे भी खर्च नहीं होने एक बार सोच कर जरूर देखिएगा । ©Short And Sweet Blog #Rose #मंजिल #ज़िन्दगीकासफर #ज़िन्दगी_तो_खुद_एक_दिन