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"कितने सालों से यही कह रहा है ,माँ मैं कुछ करूंगा

"कितने सालों से यही कह रहा है ,माँ मैं कुछ करूंगा जरूर 
बस सही समय आने दो ,तेरा सही समय कब आऐगा, जब
उम्र निकल जाऐगी ?"  माँ बोले जा रही थी और , 
हमेशा की तरह जिनेश के कानों पर जूं तक ना रेंगी ।
पढ़ाई में औसत सा जिनेश ,आई.ऐ.एस. बनना चाहता था 
तैयारी कर रहा था, किसी पंडित जी ने कहा कि इसके भाग्य में है ही नहीं सरकारी नौकरी तो मे  इन्टरव्यू के लिए लेटर आने के बाद भी नहीं गया , "क्योंकि मेरा चयन नहीं होगा " ।
उसे कहा गया कि अगले तीन साल तक उसका नौकरी का कोई 
चांस नहीं है ,बस सब छोड़कर उसने अपने आपको एक कमरे में 
कैद कर लिया । अब वो या तो सोया रहता या फिर फ़ोन में लगा रहता ।
उसके सामने एक सुनहरा मौका था अपनी मंजिल तक पहुँचने का ,
मगर अंधविश्वास की वजह से उसने सब खो दिया। 
अगर उस दिन वो इंटरव्यू के लिए चला जाता तो भले ही चयनित ना होता ,मगर उसे एक तजुर्बा हो जाता अगली बार के लिए। 
और भाग्य भी कोशिश करने वालों का ही साथ देता है ये बात हमें ही समझनी चाहिए, सबकुछ अगर भाग्य के भरोसे छोड़ दें तो जीवन बेहद कठिन हो जाता है। 
मंजिल सामने होकर भी खो जाती है अगर हम मंजिल तक पहुंचने की कोशिश ही नहीं करेंगे। ऐसा ही कुछ हुआ था जिनेश के साथ भी ।
सबकुछ भाग्य के भरोसे छोड़ कर उसने अपनी जिंदगी, अपना भविष्य 
सब दांव पर लगा दिया !!!!!! जो कि बिल्कुल भी सही नहीं था। #manzil #Kahaniya #storytelling #koshish #fatalist #anshulathakur #nojotoquotesforall #nojotowritersclub #nojotohindi
"कितने सालों से यही कह रहा है ,माँ मैं कुछ करूंगा जरूर 
बस सही समय आने दो ,तेरा सही समय कब आऐगा, जब
उम्र निकल जाऐगी ?"  माँ बोले जा रही थी और , 
हमेशा की तरह जिनेश के कानों पर जूं तक ना रेंगी ।
पढ़ाई में औसत सा जिनेश ,आई.ऐ.एस. बनना चाहता था 
तैयारी कर रहा था, किसी पंडित जी ने कहा कि इसके भाग्य में है ही नहीं सरकारी नौकरी तो मे  इन्टरव्यू के लिए लेटर आने के बाद भी नहीं गया , "क्योंकि मेरा चयन नहीं होगा " ।
उसे कहा गया कि अगले तीन साल तक उसका नौकरी का कोई 
चांस नहीं है ,बस सब छोड़कर उसने अपने आपको एक कमरे में 
कैद कर लिया । अब वो या तो सोया रहता या फिर फ़ोन में लगा रहता ।
उसके सामने एक सुनहरा मौका था अपनी मंजिल तक पहुँचने का ,
मगर अंधविश्वास की वजह से उसने सब खो दिया। 
अगर उस दिन वो इंटरव्यू के लिए चला जाता तो भले ही चयनित ना होता ,मगर उसे एक तजुर्बा हो जाता अगली बार के लिए। 
और भाग्य भी कोशिश करने वालों का ही साथ देता है ये बात हमें ही समझनी चाहिए, सबकुछ अगर भाग्य के भरोसे छोड़ दें तो जीवन बेहद कठिन हो जाता है। 
मंजिल सामने होकर भी खो जाती है अगर हम मंजिल तक पहुंचने की कोशिश ही नहीं करेंगे। ऐसा ही कुछ हुआ था जिनेश के साथ भी ।
सबकुछ भाग्य के भरोसे छोड़ कर उसने अपनी जिंदगी, अपना भविष्य 
सब दांव पर लगा दिया !!!!!! जो कि बिल्कुल भी सही नहीं था। #manzil #Kahaniya #storytelling #koshish #fatalist #anshulathakur #nojotoquotesforall #nojotowritersclub #nojotohindi