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जिसके लिए दी हमने कुर्बानी, क्या यह वही आजादी है??

जिसके लिए दी हमने कुर्बानी,
क्या यह वही आजादी है???
कटे सर भी बहुत बाजू भी बहुत जंगे आजादी में,
लेकिन देखते हैं हम, जिस तरफ आज बर्बादी ही बर्बादी है।
कल गोरे अंग्रेजों के हाथों,
हम फांसी झूल गए।
आज लोकतंत्र को फांसी है।
क्या यही आजादी है???

©Suneel Nohara
  #shaheeddiwas क्या ये ही आजादी है???,,,,  अदनासा- Sethi Ji Anshu writer R K Mishra " सूर्य " एक अजनबी