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बता क्या क़सीदे पढ़ूँ तेरी तारीफ़ में " ए - चाय " ख़ु

बता क्या क़सीदे पढ़ूँ तेरी तारीफ़ में " ए - चाय "
 ख़ुलूस - ए -तलब रहती है तेरी हमसफ़र बन कर 

और कहता हूँ कि...............

मैं तेरे नशे में डूबा रहता हूँ सुबहा से शाम तलक
तू मुझ में घुली रहती है लहू की तरह जरूरत बन कर

©निःशब्द अमित शर्मा #चाय और मैं  Akanksha jain LALIT TIWARI dhyan mira
बता क्या क़सीदे पढ़ूँ तेरी तारीफ़ में " ए - चाय "
 ख़ुलूस - ए -तलब रहती है तेरी हमसफ़र बन कर 

और कहता हूँ कि...............

मैं तेरे नशे में डूबा रहता हूँ सुबहा से शाम तलक
तू मुझ में घुली रहती है लहू की तरह जरूरत बन कर

©निःशब्द अमित शर्मा #चाय और मैं  Akanksha jain LALIT TIWARI dhyan mira