कौन अपना कौन पराया, हर दिल से रख नाता , मिट्टी की है काया... साँसों की है बँधी डोर क्या पता कब टूटे, उड़ जाएगा ये पंछी, रह जाएगी काया... नाजुक होती है बड़ी ये रिश्तों की डोर,, जो भावनाओं को समझे वो रिश्ते अनमोल,.. वक़्त की रेत पे सभी गिरते उठते है यहाँ,,.. कौन अपना कौन पराया कहाँ किसी को पता... हर कोई सीने में दो दिल लिए घूम रहा है... जो मुसीबत में साथ दे वही सच्चा साथी यहाँ..! ©rishika khushi #seashore #अपनापराया