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गाँव के जरजर घर को देख एक खव्ब था देखा बचपन से अ

गाँव  के जरजर घर को देख 
एक खव्ब था देखा बचपन से
अपना भी एक घर हो सपनों का ।
जीस में  हो खुशियों का बसेरा 
 अपनों के साथ हो शाम व सवेरा ।।

इस ख्वाब को लेकर शहर आया
सपनो के शहर में मकान ढूंढ़ते रहे
सपनों के घर का ख़्वाब लिए ।
अब ना गांव का घर अपना रहा 
ना शहर के मकान में सकूनू अपना ।।
                       -Azad ताहिर #Sapne_ka_ghar #January #nojotoenglish #poem
गाँव  के जरजर घर को देख 
एक खव्ब था देखा बचपन से
अपना भी एक घर हो सपनों का ।
जीस में  हो खुशियों का बसेरा 
 अपनों के साथ हो शाम व सवेरा ।।

इस ख्वाब को लेकर शहर आया
सपनो के शहर में मकान ढूंढ़ते रहे
सपनों के घर का ख़्वाब लिए ।
अब ना गांव का घर अपना रहा 
ना शहर के मकान में सकूनू अपना ।।
                       -Azad ताहिर #Sapne_ka_ghar #January #nojotoenglish #poem