हैं बचपन की बातें बचपन की यादें अनगिन। लौटा दे कोई मेरे बीते बचपन के दिन। नयी पोध थी उमंग हज़ार थी रँग थे हज़ार मुक्त पंक्षी सा उड़ने को मन करता बार बार नभ छू धरा चुम लेते झूमते थे हर प्रकार आज अवसाद ने घेरा और है मन बीमार। बचपन के दिन