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*बटुए को कहाँ मालूम* *पैसे उधार के हैं..........



*बटुए को कहाँ मालूम*
*पैसे उधार के हैं..........*
*वो तो बस फूला ही रहता है अपने गुमान में ............*
*ठीक यह ही हाल हमारा है.............*
*साँसे उस प्रभु की उधार दी हुई हैं............*
*पर ना जाने गुमान किस बात पर है!!*

©Jitendra Chaubey
  यथार्थ सत्य हैं

यथार्थ सत्य हैं #ज़िन्दगी

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