"इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है इतने मौलिक बनो

"इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है
इतने मौलिक बनो कि जितना स्वयं सृजन है"

©HintsOfHeart.
  #द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी -हिन्दी के साहित्यकार जिन्होंने बाल साहित्य पर 26 पुस्तकें लिखीं, जिससे वे 'बच्चों के गांधी' भी कहलाते हैं।
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#द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी -हिन्दी के साहित्यकार जिन्होंने बाल साहित्य पर 26 पुस्तकें लिखीं, जिससे वे 'बच्चों के गांधी' भी कहलाते हैं। #कविता

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हिन्दू, हिंदी हिन्दुस्थान सावधान!! सावधान!!!!!
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में 
हरामखोर मुसलमानो की करतूत देखिए
ये देशद्रोही हमारे अराध्य देव के ऊपर
अपनी गन्दगी करते थे,उन्हें छुपाकर रक्खे थे।
विश्वेश्वर शिवलिंग वजूखाने से मिला है। वजूखाना वो होता है जहां नमाजी हाथ-पैर धोते हैं, कुल्ला करते हैं। यह अपमान ऐसा है जिसे हिंदू समाज सृष्टि के अंत तक नहीं भूल पाएगा।
अब भी हम हिंदू सनातनियों का खून न खोले तो 
यह हम भारतीयों को शर्म से डूब मरने वाली बात है।
जागो हिन्दू जागो,जागो हिन्दू जागो
हिन्द सनातन धर्म संस्कृति की रक्षा करो
इन दुष्टों से अपने धर्म की रक्षा करो, रक्षा करो

©"ANUPAM"
  #हिन्दू, हिन्दी हिन्दुस्तान
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rameshchandraanu2269

"ANUPAM"

New Creator

#हिन्दू, हिन्दी हिन्दुस्तान #Thoughts

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जय तेरी हो शैलसुता माँ।
  नमन तुझे है यश दाता माँ।।
  ब्रह्मचारिणी ऐसा वर दो।
  बने संयमी कर तुम धर दो।।
  नमन माँ तुझको चंद्रघंटा।
  मुक्त प्रेत से करता घंटा।।
 हे आदिशक्ति माँ!कूष्माण्डा। 
  सृजित तुम्हीं से है ब्रह्माण्डा।।
   रूप पाँचवाँ मोक्ष प्रदाता।
   तुझको नमन है स्कंदमाता।।
   रूप कात्यायिनी जो है माँ का।
   सबको देती यही सबलता।।
    सप्तम रूप है अति भयंकर। 
    शत्रु नाश करने को तत्पर।।
    अलौकिक सिद्धि वह नर पाता।
     रूप महागौरी जो भजता।।
      सदा ही जय हो सिद्धिदात्री।
      अष्ट सिद्धियों की जो धात्री।।
       नवदुर्गा का पाठ करे जो।
     मन वांछित को प्राप्त करे वो।।

©Bharat Bhushan pathak #मातेश्वरी
जय तेरी हो शैलसुता माँ।
  नमन तुझे है यश दाता माँ।।
  ब्रह्मचारिणी ऐसा वर दो।
  बने संयमी कर तुम धर दो।।
  नमन माँ तुझको चंद्रघंटा।
  मुक्त प्रेत से करता घंटा।।
 हे आदिशक्ति माँ!कूष्माण्डा। 
  सृजित तुम्हीं से है ब्रह्माण्डा।।
   रूप पाँचवाँ मोक्ष प्रदाता।
   तुझको नमन है स्कंदमाता।।
   रूप कात्यायिनी जो है माँ का।
   सबको देती यही सबलता।।
    सप्तम रूप है अति भयंकर। 
    शत्रु नाश करने को तत्पर।।
    अलौकिक सिद्धि वह नर पाता।
     रूप महागौरी जो भजता।।
      सदा ही जय हो सिद्धिदात्री।
      अष्ट सिद्धियों की जो धात्री।।
       नवदुर्गा का पाठ करे जो।
     मन वांछित को प्राप्त करे वो।।

©Bharat Bhushan pathak #मातेश्वरी
हिन्दी हमारी माँ है
उर्दू हमारी माँ-सी (मासी) है,
दोनों को है अपनाया 
हम वह भारतवासी है।
 कवि सुमित मानधना 'गौरव' #हिन्दी #हिन्दीमेरीशान #हिन्द 

#Hindidiwas
हिन्दी हमारी माँ है
उर्दू हमारी माँ-सी (मासी) है,
दोनों को है अपनाया 
हम वह भारतवासी है।
 कवि सुमित मानधना 'गौरव' #हिन्दी #हिन्दीमेरीशान #हिन्द 

#Hindidiwas
#मातेश्वरी
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