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हुईं  विपरीत  शुभ घड़ियाँ, गमों के मेघ छाये हैं। व

हुईं  विपरीत  शुभ घड़ियाँ, गमों के मेघ छाये हैं।

विवशता हो गयी ऐसी,सभी पर भय के साये हैं।

हजारों  मील की  दूरी, नहीं  वाहन  मिले  कोई-

बहुत छोटी हुईं राहें, श्रमिक  पैदल  भी आये हैं।
 #विवशता  #विश्वासी  #मुक्तक
हुईं  विपरीत  शुभ घड़ियाँ, गमों के मेघ छाये हैं।

विवशता हो गयी ऐसी,सभी पर भय के साये हैं।

हजारों  मील की  दूरी, नहीं  वाहन  मिले  कोई-

बहुत छोटी हुईं राहें, श्रमिक  पैदल  भी आये हैं।
 #विवशता  #विश्वासी  #मुक्तक