ये आरजू अब जीने की मर गई है मुजमे कितने ही बोझ भर गई है। तराशा हुआ कोहिनूर था ए वक्त, नाकामियां क्यों बसर कर गई है। तन्हाई बड़ी चुभती है अब तन्हा, जलती उम्मीद जहर कर गई है। बदला क्या लु तु जहां में नहीं है, जिंदा लाश हूं सांसे ठहर गई है। वक्त तो आएगा अहले करम से, मुझ में मेरी तिसनगी मर गई है। ©Brsolanki #br N.B Mia ❤