वो..मेरे मन की किसी कोने में... मेरे हर बात की अर्थ में.. मेरे सुकून के दो पलों में.. मेरे हसीं के रंगों में.. वो..मेरे दिल की दबी हुई बातों में.. मेरे हर सवालों के जवाबों में.. मेरे पायलों की छन छन में.. मेरे बिंदी के चमक में.. वो..मेरे दिल की धड़कन में.. मेरे हर सांस की सरगम में.. मेरे गजरे की खुशबु में... वो..मेरे हर राहत भरी नींद में है.. इसलिए आज मैं सुकून से हूँ.. इसलिए आज मैं चैन से हूँ..... अच्छा सुनो, जाने के बाद मैं तुम्हें यूँ बेचैन नही देख पाऊँगी,इसलिये जब तुम्हारा मन बेचैन होने लगे तो एक काम करना! मेरे द्वारा दिया गया खोल देना वो सुकुन भरे पिटारे को!तब बैठ जाना खुले आसमान में,सूरज की पहली किरण की रश्मियो का उठा लेना लुफ़्त !चिड़ियो की चहचआहट सुन लेना, जब भी ये हवाए अपना रुख बदले वक़्त रहते तुम भी इन्ही हवाओ संग झूम उठना और थोड़ी देर अकेले में बैठ कर लेना खुद से ढेर सारी बाते,और कर लेना अपने मन को थोड़ा शान्त,हाँ तब तुम्हें मिल जाएगा थोड़ा,सुकून!! और आ जाएगी तब मुझे याद तुम्हारे अधरो पे मुस्कान और तब तुम्हारे इस मुस्कान का एहसास मुझे भी हो जाएगा...! तभी मुस्कान आ जाएगी मेरे होठो पे भी..!! सुनो, मैं जब भी तुमसे दूर हो जाऊ.. अगर मेरी याद आए तो.. सिर्फ एक काम करना.. आईने के सामने जाकर...