20 Lakh crores सुना था आसमां से कहर बरसेगा दरिया में उफान आएगा जलजला उठेगा धरती पर सारा जहाँ आग पानी से ही ढह जाएगा।। ऐसा कुछ भी होता दिख न रहा हां दरिया में उफ़ान आया है।। भूख ने खूब कहर बरपाया है।। आँखों में नमी आती है तो मल लिया करते है।। कमबख्त दो वक्त की रोटी की तलाश में आये थे अब भूखे पेट ही आशियाने की तलाश में चल दिया करते करते हैं।। कमबख्त दोज़ख़ जन्नत की बात किया करते थे खुदा ने क्या खूब कहर ढाया है।। जन्नत की तो उम्मीद नही सारे जहाँ को ही दोजख बनाया है।। आग अभी भी आसमां से बरस रही है ।। एक भरी आबादी दो जून की रोटी के लिए तरस रही है।। खुदा दया कर उनके भूखे पेट और आँखों की नमी पर।। बड़ी मुश्किल से बनता है घर किसी का, बना रहने दे उन्हें उनकी सरजमीं पर।। गरीबी परिवारों को तोड़कर बिखेर दे रही है।। हवा भी तूने क्या चलायी जो हर लम्हा जहर दे रही है।। #20_lakh_crores दया