मेरे हिस्से की ज़मीं पाने के लिए मेरे अपनो का अब लहू और न बहा। तेरे घर की सेवइयों को कभी मेरी माँ ने बनाया था कई मर्तबा। खेलते थे कभी बचपन में तुम इसी आँगन के निमवा के तले। ख़ुदा की खातिर ही सही उन जड़ों को इतना न जला। मेरे हिस्से की ज़मीं पाने के लिए तू अपने अपनों का अब लहू न और बहा..... ©Rooh_Lost_Soul #kashmiripoetry #Humaity