Nojoto: Largest Storytelling Platform

मेरे हिस्से की ज़मीं पाने के लिए मेरे अपनो का अब लह

मेरे हिस्से की ज़मीं पाने के लिए
मेरे अपनो का अब लहू और न बहा।

तेरे घर की सेवइयों को कभी
मेरी माँ ने बनाया था कई मर्तबा।

खेलते थे कभी बचपन में तुम 
इसी आँगन के निमवा के तले।

 ख़ुदा की खातिर ही सही
उन जड़ों को इतना न जला।

मेरे हिस्से की ज़मीं पाने के लिए
तू अपने अपनों का अब लहू न और बहा.....

©Rooh_Lost_Soul #kashmiripoetry #Humaity
मेरे हिस्से की ज़मीं पाने के लिए
मेरे अपनो का अब लहू और न बहा।

तेरे घर की सेवइयों को कभी
मेरी माँ ने बनाया था कई मर्तबा।

खेलते थे कभी बचपन में तुम 
इसी आँगन के निमवा के तले।

 ख़ुदा की खातिर ही सही
उन जड़ों को इतना न जला।

मेरे हिस्से की ज़मीं पाने के लिए
तू अपने अपनों का अब लहू न और बहा.....

©Rooh_Lost_Soul #kashmiripoetry #Humaity