जब आँख खुली थी आज सुबह सबसे पहले तुमको पाया बस देख के तेरे चरणों को जीवन पर भी एक नग़मा गाया नग़मे में भी कुछ यूं था मां तुम कितना कष्ट उठाती हो बच्चों को पीड़ा न हो कुछ इसलिए स्वयं थक जाती हो ये थकन कहाँ गुम होती है तुम अपना सारा दर्द छुपाती हो खुद की पीड़ा खुद ही सहकर हमको देखकर मुसकाती हो ये देख तुम्हारे अनुभव सब इतना सा - ही याद मुझे आया जब स्वयं तुम्हें महसूस किया तब एक - नया किस्सा पाया जब आँख खुली थी आज सुबह सबसे पहले तुमको पाया बस देख के तेरे चरणों को जीवन पर भी एक नग़मा गाया।। 1 जिस नग़्में में तुम ईश्वर हो और मेरे लिए वारदान हो मां तुमको पाकर मैं धन्य हुआ तुम मेरे लिए भगवान हो मां तुम जो भी वो अच्छी हो मेरे लिए तो एहसान हो मां मैं खुद ही कहाँ स्वयं लायक बस मेरे लिए पहचान हो मां मैंने भी जितने किस्से देखे ऐसा भी ना कोई किस्सा पाया तुमको बेशक मैं जीवन भर गाऊँ फिर भी रहोगी अनगाया जब आँख खुली थी आज सुबह सबसे पहले तुमको पाया बस देख के तेरे चरणों को जीवन पर भी एक नग़मा गाया।।2 - अशांजल यादव