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अनादि काल से जगत में शक्ति का महत्वपूर्ण स्थान रहा

अनादि काल से जगत में शक्ति का महत्वपूर्ण स्थान रहा है यद्यपि शक्ति होने का अर्थ यह कदापि नहीं है कि हम किसी को पंडित करें वास्तव में शक्ति संपन्न होने से हम एक प्रकार से अपनी सुरक्षा भी सुनिश्चित करते हैं समाज में संतुलन का होना बहुत आवश्यक है क्योंकि इसमें देवियां वह असुर भी दोनों ही प्रकार की शक्तियां विचरण करती है देवी शक्ति जहां हमें यह मार्ग दिखाती है कि आसुरी शक्ति लक्ष्य से विचलित कर मार्ग में बाधा उत्पन्न करती है इन्हीं आसुरी शक्तियों से बचाव हेतु हम अपने उपयुक्त शक्ति की आवश्यकता होती है ताकि हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति निबंध रूप से ना करें राष्ट्रकवि दिनकर ने भी कहा है कि शास्त्र नहीं होते वह शास्त्र भी रोते हैं रिया को भी सिद्धि तभी मिलती है जब पर हार पर धनुर्धर विश्राम खड़े होते हैं शक्ति विहार व निर्मल व्यक्तियों को समाज में उचित सम्मान नहीं मिलता और ऐसा व्यक्ति समाज में कायर की श्रेणी में गिना जाता है शक्तिहीन व्यक्ति की क्षमता भी मूल्यांकन होती है वही शक्ति संपन्न व्यक्ति का समाधान भी समाज के आदर्श बनता है ऐसा नहीं है कि जीवन में शक्ति के बल पर ही सब कुछ हासिल किया जा सकता है प्रेम भी लक्ष्य प्राप्ति का एक बहुत बड़ा सशक्त माध्यम है परंतु जहां प्रेमी रूपी धैर्य टूटने लगता है वहां शक्ति आवश्यक होती है जिस प्रकार भगवान श्री राम ने समुद्र से 3 दिन तक मार्ग देने के लिए प्रेम पूर्वक अनुयाई भी नहीं किया था परंतु जब समुंदर पर कोई प्रभाव नहीं हुआ तब भगवान राम को शक्ति का सहारा लेना पड़ा उसके उपरांत समुद्र मार्ग देने को तैयार हुआ शक्ति के अभाव में शांति की कल्पना करना भी व्यर्थ है सृष्टि की संतुलन संचालन हेतु शक्ति अत्यंत ही आवश्यक अवयव है भविष्य में आने वाले संकटों से बचाव हेतु शक्ति का संचय करने की दिशा में उन्मुख होने से ही जीवन का सार्थकता है वाइबर तीव्र बिलियन

©Ek villain # मनुष्य के जीवन में शक्ति की मेहता

#Bond
अनादि काल से जगत में शक्ति का महत्वपूर्ण स्थान रहा है यद्यपि शक्ति होने का अर्थ यह कदापि नहीं है कि हम किसी को पंडित करें वास्तव में शक्ति संपन्न होने से हम एक प्रकार से अपनी सुरक्षा भी सुनिश्चित करते हैं समाज में संतुलन का होना बहुत आवश्यक है क्योंकि इसमें देवियां वह असुर भी दोनों ही प्रकार की शक्तियां विचरण करती है देवी शक्ति जहां हमें यह मार्ग दिखाती है कि आसुरी शक्ति लक्ष्य से विचलित कर मार्ग में बाधा उत्पन्न करती है इन्हीं आसुरी शक्तियों से बचाव हेतु हम अपने उपयुक्त शक्ति की आवश्यकता होती है ताकि हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति निबंध रूप से ना करें राष्ट्रकवि दिनकर ने भी कहा है कि शास्त्र नहीं होते वह शास्त्र भी रोते हैं रिया को भी सिद्धि तभी मिलती है जब पर हार पर धनुर्धर विश्राम खड़े होते हैं शक्ति विहार व निर्मल व्यक्तियों को समाज में उचित सम्मान नहीं मिलता और ऐसा व्यक्ति समाज में कायर की श्रेणी में गिना जाता है शक्तिहीन व्यक्ति की क्षमता भी मूल्यांकन होती है वही शक्ति संपन्न व्यक्ति का समाधान भी समाज के आदर्श बनता है ऐसा नहीं है कि जीवन में शक्ति के बल पर ही सब कुछ हासिल किया जा सकता है प्रेम भी लक्ष्य प्राप्ति का एक बहुत बड़ा सशक्त माध्यम है परंतु जहां प्रेमी रूपी धैर्य टूटने लगता है वहां शक्ति आवश्यक होती है जिस प्रकार भगवान श्री राम ने समुद्र से 3 दिन तक मार्ग देने के लिए प्रेम पूर्वक अनुयाई भी नहीं किया था परंतु जब समुंदर पर कोई प्रभाव नहीं हुआ तब भगवान राम को शक्ति का सहारा लेना पड़ा उसके उपरांत समुद्र मार्ग देने को तैयार हुआ शक्ति के अभाव में शांति की कल्पना करना भी व्यर्थ है सृष्टि की संतुलन संचालन हेतु शक्ति अत्यंत ही आवश्यक अवयव है भविष्य में आने वाले संकटों से बचाव हेतु शक्ति का संचय करने की दिशा में उन्मुख होने से ही जीवन का सार्थकता है वाइबर तीव्र बिलियन

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