धन धन मेरु किसान भै तू सभ्यूं कु अन्नदाता ह्वे बरखा बतूनी घाम पानी सभी त्वेन पुंगड्यूं म बितेन जब पुंगड्यूं म अन्न उपजलु तब देश कु पुटगु भुरेलु जब पुंगड्यूं म फसल लहराली तब देश म भी बाहर आली या धरती माँ तेकु देणी हुयाँ तेरी पुंगड्यूं से खूब अन्न धन हुयाँ परिवार तेरु सदनी खुश और संपन्न रैयाँ लोग सदनी तेरु गुण गयां या माटी तेकु सदनी उपजाऊ हुयाँ या भारत माँ तिथे इनि वर दियाँ। अजय हेमदान (प्रकृति प्रेमी) ©Ajay Hindwan #kisandivas #kisaan #GarhwaliShayar #garhwali #pahadiwriter #pahadi #Poetry #poetry_addicts